बस अंकों का तो फेर है इक्कीस आने में न देर है उजाले की है दस्तक अब छंटने वाला अंधेर बस अंकों का तो फेर है इक्कीस आने में न देर है उजाले की है दस्तक अब छंटन...
एक ग़ज़ल...। एक ग़ज़ल...।
संकल्प ! संकल्प !
ज़िंदगी उदास लम्हों की कहानी...। ज़िंदगी उदास लम्हों की कहानी...।
हाथ क्यों रोकता है साक़ी का वो पिलाये तो फिर पिलाने दे... हाथ क्यों रोकता है साक़ी का वो पिलाये तो फिर पिलाने दे...
डूबा है गुनाहों में वो खुद मगर, "दीप" से हिसाब खुदा जैसे मांगता है...! डूबा है गुनाहों में वो खुद मगर, "दीप" से हिसाब खुदा जैसे मांगता है...!